Siddha Kunjika Stotram in Hindi (Lyrics with PDF and Meaning)
Siddha Kunjika Stotram, देवी दुर्गा को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र है. यह स्तोत्र दुर्गा सप्तशती के 7वें अध्याय में पाया जाता है. स्तोत्र में देवी दुर्गा को विभिन्न नामों से संबोधित किया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे भक्तों को सभी कष्टों से मुक्त करें.
स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और वे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाते हैं. स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है.
यहां सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का हिंदी अनुवाद दिया गया है:
प्रथम श्लोक
हे देवी, मैं आपको कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने जा रहा हूं. यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो आपको सभी कष्टों से मुक्त करेगा. कृपया मुझे अपनी कृपा प्रदान करें और मुझे इस स्तोत्र का पाठ करने में सफलता दें.
द्वितीय श्लोक
नमस्ते रुद्ररूपिण्ये नमस्ते मधुमर्दिनि। नमस्ते कैटभहारिण्ये नमस्ते महिषार्दिनि॥
हे देवी, आप रुद्र का रूप हैं. आपने मधु और कैटभ नामक दो राक्षसों को मारा है. आप महिषासुर का वध करने वाली हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
तृतीय श्लोक
नमस्ते शुम्भहन्त्र्ये च निशुम्भासुरघातिनि। जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे॥
हे देवी, आपने शुम्भ और निशुम्भ नामक दो राक्षसों को मारा है. आप महादेवी हैं. कृपया मेरी जप को सिद्ध करें.
चतुर्थ श्लोक
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका। क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते॥
हे देवी, आप ऐं बीज के रूप में सृष्टि का रूप हैं. आप ह्रीं बीज के रूप में प्रतिपालिका हैं. आप क्लीं बीज के रूप में काम रूप हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
पंचम श्लोक
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी। विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥
हे देवी, आप चामुण्डा हैं. आप चण्ड का घाती हैं. आप यैकारी हैं. आप वरदायिनी हैं. आप विच्चे हैं. आप अभयदा हैं. आप मन्त्र रूपिणी हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
षष्ठम श्लोक
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी। क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥
हे देवी, आप धूर्जटे की पत्नी हैं. आप वाणी की देवी हैं. आप कालिका हैं. आप शांति, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
सप्तम श्लोक
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥
हे देवी, आप हुंकार रूपिणी हैं. आप जम्भनादिनी हैं. आप भैरवी हैं. आप भद्रे हैं. आप भवान्य हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
अष्टम श्लोक
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं। धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
हे देवी, आप अं, कं, चं, टं, तं, पं, यं, शं, वीं, दुं, ऐं, वीं, हं, क्षं बीजों के रूप में हैं. आप धिजाग्रं और धिजाग्रं रूप में हैं. आप त्रोटय और त्रोटय रूप में हैं. आप दीप्तं और दी
नवम श्लोक
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा। सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥
हे देवी, आप पार्वती हैं. आप पूर्ण हैं. आप खेचरी हैं. आप सप्तशती विद्या की देवी हैं. कृपया मेरी मंत्र सिद्धि करें.
दशम श्लोक
इति मन्त्रः ॥ नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि। नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥
इस प्रकार यह मन्त्र है. हे देवी, आप रुद्र का रूप हैं. आपने मधु और कैटभ नामक दो राक्षसों को मारा है. आप महिषासुर का वध करने वाली हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
एकादश श्लोक
नमस्ते शुम्भहन्त्र्ये च निशुम्भासुरघातिनि। जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे॥
हे देवी, आपने शुम्भ और निशुम्भ नामक दो राक्षसों को मारा है. आप महादेवी हैं. कृपया मेरी जप को सिद्ध करें.
द्वादश श्लोक
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका। क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते॥
हे देवी, आप ऐं बीज के रूप में सृष्टि का रूप हैं. आप ह्रीं बीज के रूप में प्रतिपालिका हैं. आप क्लीं बीज के रूप में काम रूप हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
त्रयोदश श्लोक
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी। विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥
हे देवी, आप चामुण्डा हैं. आप चण्ड का घाती हैं. आप यैकारी हैं. आप वरदायिनी हैं. आप विच्चे हैं. आप अभयदा हैं. आप मन्त्र रूपिणी हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
चतुर्दश श्लोक
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी। क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥
हे देवी, आप धूर्जटे की पत्नी हैं. आप वाणी की देवी हैं. आप कालिका हैं. आप शांति, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
पंद्रहवाँ श्लोक
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥
हे देवी, आप हुंकार रूपिणी हैं. आप जम्भनादिनी हैं. आप भैरवी हैं. आप भद्रे हैं. आप भवान्य हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.
16वाँ श्लोक
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं। धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
हे देवी, आप अं, कं, चं, टं, तं, पं, यं, शं, वीं, दुं, ऐं, वीं, हं, क्षं बीजों के रूप में हैं. आप धिजाग्रं और धिजाग्रं रूप में हैं. आप त्रोटय और त्रोटय रूप में हैं. आप दीप्तं और दीप्तं रूप में हैं. कृपया मेरी रक्षा करें और मुझे सभी कष्टों से मुक्त करें.
17वाँ श्लोक
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा। सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥
हे देवी, आप पार्वती हैं. आप पूर्ण हैं. आप खेचरी हैं. आप सप्तशती विद्या की देवी हैं. कृपया मेरी मंत्र सिद्धि करें और मुझे सभी प्रकार के लाभ प्रदान करें.
18वाँ श्लोक
इति मन्त्रः ॥
यह मन्त्र है. इस मन्त्र का पाठ करने से भक्तों को सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं. वे सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है.
Siddha kunjika stotram benefits
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है. यह स्तोत्र दुर्गा सप्तशती के 7वें अध्याय में पाया जाता है. स्तोत्र में देवी दुर्गा को विभिन्न नामों से संबोधित किया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे भक्तों को सभी कष्टों से मुक्त करें.
स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और वे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाते हैं. स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है.
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति
शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति
मनोकामनाओं की पूर्ति
दुर्भाग्य को दूर करना
शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना
पापों से मुक्ति
देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करना
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को नियमित रूप से पढ़ने से भक्तों को सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं. यह स्तोत्र सभी भक्तों के लिए लाभकारी है.
Kunjika Stotram FAQs
What is siddha kunjika stotram?
In Hindi – सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, देवी दुर्गा को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र है. यह स्तोत्र दुर्गा सप्तशती के 7वें अध्याय में पाया जाता है. स्तोत्र में देवी दुर्गा को विभिन्न नामों से संबोधित किया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे भक्तों को सभी कष्टों से मुक्त करें.
In English – Siddha Kunjika Stotra is a powerful stotra dedicated to the Goddess Durga. It is found in the 7th chapter of Durga Saptashati. The stotra addresses the Goddess Durga by various names and prays to her to free the devotees from all sufferings.
How many times to read Kunjika Stotram Lyrics in Sanskrit?
There is no fixed number of times that you should recite the Siddha Kunjika Stotra. Some people recite it once a day, while others recite it 108 times or more. It is said that the more you recite the stotra, the more benefits you will receive.