Keelak Stotram | कीलक स्तोत्र अर्थ सहित
कीलक स्तोत्र का पाठ दुर्गा सप्तशती (देवी माहात्म्य) के अंतर्गत किया जाता है। इस स्तोत्र का पाठ अनिवार्य रूप से दुर्गा कवच और अर्गला स्तोत्र के बाद किया जाता है। इस स्तोत्र के पहले...
कीलक स्तोत्र का पाठ दुर्गा सप्तशती (देवी माहात्म्य) के अंतर्गत किया जाता है। इस स्तोत्र का पाठ अनिवार्य रूप से दुर्गा कवच और अर्गला स्तोत्र के बाद किया जाता है। इस स्तोत्र के पहले...
दुर्गा कवच ( Devi Kavach ) का पाठ दुर्गा सप्तशती के पाठ करने से पहले किया जाता है। इस कवच का पाठ करने से देवी भगवती अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें रक्षा प्रदान...
शिव रक्षा स्तोत्र के रचयिता (Writer) याज्ञवल्क्य ऋषि हैं. भगवान नारायण ने याज्ञवल्क्य ऋषि के सपने में इस स्तोत्र का वर्णन किया था. Shiva Raksha Stotra Lyrics in hindi- सभी बुरी शक्तियों, रोगों, दुर्घटनाओं...
श्री हरि स्तोत्रं लिरिक्स विष्णु पुराण के अनुसार जो संसार में सर्वोच्च ईश्वर (निराकार परब्रह्म) हैं, श्री विष्णु उनका निकटतम मूर्त स्वरुप हैं. श्री विष्णु का चतुर्भुज रूप अत्यंत सुगम है, वे भक्तों की...
(Shri Maruti Stotra – श्री मारुती स्तोत्र ) श्री मारुती स्तोत्र (Shri Maruti Stotra) एक हिंदी भक्ति स्तोत्र है जो हनुमान जी की प्रशंसा में गाया जाता है। यहाँ कुछ लाइनें हैं जो आपको...
श्री शिव सहस्त्रनाम पाठ के लाभ श्री शिव सहस्त्रनाम पाठ की विधि
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली | माँ काली आरती तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती || तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी | दानव...
श्री शुक उवाच एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि।जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम॥ ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम।पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि॥ यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयं।योस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम॥ यः स्वात्मनीदं निजमाययार्पितंक्कचिद्विभातं क्क च तत्तिरोहितम।अविद्धदृक...
(Shri Surya Astakam – श्री सूर्य अष्टकम) नवग्रहों में सर्वप्रथम ग्रह सूर्य हैं जिसे पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया हैं । सूर्यदेव का यह पाठ आपकी ज़िंदगी में व्यवसाय या शिक्षा...
सर्वारिष्टनिवारकं शुभकरं पिङ्गाक्षमक्षापहं सीतान्वेषणतत्परं कपिवरं कोटीन्दुसूर्यप्रभम्। लंकाद्वीपभयंकरं सकलदं सुग्रीवसम्मानितं देवेन्द्रादिसमस्तदेवविनुतं काकुत्स्थदूतं भजे ॥१॥ ख्यातः श्रीरामदूतः पवनतनुभवः पिङ्गलाक्षः शिखावन् सीताशोकापहारी दशमुखविजयी लक्ष्मणप्राणदाता। आनेता भेषजाद्रेर्लवणजलनिधेः लङ्घने दीक्षितो यः वीरश्रीमान् हनूमान्मम मनसि वसन्कार्यसिद्धुं तनोतु॥२॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिवतां...